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कार्त्तिक सेठी

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कार्त्तिक सेठी

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दो बातें

दो बातें

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पल में कल बन जाते हैं 'हर पल'

पल अनमोल है सोच,अनमोल बनायेंगे तो मिट जाएगा 'दर असल'

अमृत कहीं नहीं यद्यपि पुराणों में वर्णन है।

वह तो श्रवण है जो किसी मुहँ से निकल कर

केवल कर्ण को नहीं हृदय को गमन है ...।।

नये पुराने की बातें जब चलती हैं

वह तो समय की एक अवस्था है

एक इस पार है और एक उस पार है ,

एक अतीत है, एक भविष्य है

दोनों में "वर्तमान" सत्य का वो पल है

जो छूट जाने पर हम अनमोल का मोहर लगा देते हैं ।

पर वो भूत काल को समर्पित हो जाता है

अतः पल पल अनमोल है, लाभ न उठाना ही भूल है ।।




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