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Rabindra Mishra

Romance

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Rabindra Mishra

Romance

हुम्...तुम और पैसा

हुम्...तुम और पैसा

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हम तुम्हें चाहते हैं

यह हमारे लिए खुद एक सवाल है

इस सवाल का क्या जवाब

ना खुद हमें ना और किसी को मालूम है।


फिर भी तुम अति हो

सपने में हरपाल, जिसे हो एक हसीना

हर लम्हा बस तुम हो

ज़िंदगी न कटे या काट टी है ततुम्हारे बिना।


तुम हो तो सब है

महसूस होता है कि सब कुछ है अपना नुठी में

पाशा पलट भी सकता है

बेशक, बेधड़क, बस हो तुम जब अपनी धुन में।


तुम हो क्या ?

हमारे लिए पर हो तो बेशक ज़िंदा दिल

जितना भी उलझता हूँ

और उलझती हो मानो जिसे हो एक पहेली।


तुम हो तो हसीन

अंदाज़ तुम्हारा यूँ करती है सबको पागल

जब कहीं चली जाती हो

ढूंढ ते हैं दिबनो कि तरह,दिल होता है घायल।


तुम्हारी नाश चढ़ती है

टी उमंग दौड़ता है हर किसी की चाहत में

बस है एक ख्वाइस

करना हे सारि की सारी दुनिया- अपनी जेब में।


हम और तुम

तुम और हम,बंधे हुए हैं एक डोर की तरा

जिस को प्रेम कहूँ

या चाहत, सोचो क्या नाम दूं तेरा।


तू है तो सुबह हो

या शाम ,खिलती है फूल गुलशन गुलशन

तेरे छनकती बोल

पे मचल मचल उठता है मन।


ये इश्क़ है या

पैमान-पर है जरूर एक बस्ता

"पैसा"- तू सबसे अलग

सबका साथ है तेरा एक अनकहा रिश्ता।


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