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Deepa Saini

Inspirational

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Deepa Saini

Inspirational

हर्ज

हर्ज

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अगर पागल बनकर मंजिल हासिल हो जाए तो क्या हर्ज है l

कुछ खोने के डर से कुछ पाने का जुनून मिल जाए तो क्या हर्ज है l

मैं भी ना टूटे रिश्ते भी निभा जाए बस यही मेरा फर्ज है l

माता-पिता की परछाई हूं कुछ करने ही आई हूं संभल जाऊं हर पल यहां ना अब कोई मर्ज है l

भीड़ भरकर लड़ जाऊंगी इस जीवन से शायद पूर्व जन्मो का करम हैl

माता ने जन्म दिया गुरु ने प्रेरणा पिता ने जीवन इनका भी कुछ कर्ज है l

पागलपन जब हद से बढ़ भी जाए तो क्या हर्ज हैl

पागल बनकर मंजिल मिल जाए तो क्या हर्ज है l

कुछ खोकर ही कुछ मिलता है यही तो सब रहे जाना सबको वहां है बनी सब की जहां कब्र हैl

किसने छोड़ा साथ मेरा किस ने पकड़ी नब्ज हैl

पागल बनकर कुछ मिल जाए तो क्या हर्ज है।


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