हृदय धड़कता
हृदय धड़कता
पिया मिलन की आस को लेकर,
धक-धक हृदय धड़कता रहता।
ना हिचकी आई, ना संदेश मिला!
अब कब तक देखूं राह तेरी,
थक गया हूं, मन-मृग कहता।।
व्यथित हुआ है हृदय हृदय-मन रुठा,
अब नहीं सुनेगा हृदय, हृदय यह मेरा।
हिचक-हिचक रोता है छुपकर,
यादों के अंधियारे में, कब होगा नया सवेरा।।
वृक्ष लता और पात पात में,
सुनता हूं संगीत मिलन का।
रुक -रुक कर मैं यही देखता,
दिख जाए साया मेरे सजन का।।
हुआ बावरा तेरी अदा पर,
अब कैसे मन को समझाऊं।
मैं मौजी, मनमौजी-मन मेरा,
मन मन-भर का ,कैसे इसे रिझाऊं।।