हर रात के बाद सवेरा होता है।
हर रात के बाद सवेरा होता है।
हर सुबह आशा की किरण ले आती है
अंधेरी रात में डूबे इस संसार को गहरी नींद से जगाती है।
रुकी हुई जिंदगी फिर से चलने लगती है
जिंदगी अपनी ख्वाहिश हर वक्त बदलती है।
बदलते रास्तों संग नए रास्ते खोजने लगती है
कल की बातें भूल खुद को संभाल कर खुद से यह कहने लगती है।
हर रात के बाद सवेरा होता है
जीवन के अनेक मोड़ पर सुख और दुख को साथ लिए चलते जाना होगा।
तूफानों के मझधार में घिरी अपनी जीवन नैया को लिए आगे बढ़ना होगा
कांटों की राहों पर चलकर नया सवेरा खुद गढ़ना होगा।
जीवन में तुम गिरोगे
गिरकर फिर उठोगे।
लेकिन अपनी मंजिलों का रास्ता तुम्हें खुद तय करना होगा।
अंधेरी रातों के साए में दीपक के साथ उजाला तुम्हें खुद करना होगा
क्योंकि हर रात के बाद सवेरा होता है
यह हमेशा खुद से कहना होगा।
