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Nidaafreen Khan

Abstract Inspirational

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Nidaafreen Khan

Abstract Inspirational

बचपन जगाए रखना

बचपन जगाए रखना

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यादों की उन गलियों में आज 

फिर से टहला जाए।


बचपन के उस जमाने को 

आज दोबारा याद किया जाए ।


बचपन का वो ज़माना था

जिसमें खुशियों का पिटारा था।


ना दिन की खबर थी 

ना शाम का ठिकाना था।

बस उछलते , कूदते हमें हर दिन बिताना था।


स्कूल की मस्ती और थकान 

तो बस बहाना था ।


हमें फिर भी हर वक्त दोस्तो संग 

खेलने जाना था।

कागज़ की कश्ती और

 यादों का किनारा ।


काश वही रुक जाता वो बचपन 

की खुशियों का ज़माना ।

ना जाने हम कहा फस गए बड़े होकर 

इन जिम्मेदारियों के भवर में।


कही भटक से गए हम इन बचपन की गलियों से

इसीलिए आज फिर एक बार 

वही बचपन की यादों ने बुलाकर बताया है ।


अपने भीतर एक बच्चे को जगाए रखना

दिल के किसी कोने में हमेशा बचपन जगाए रखना।


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