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Nidaafreen Khan

Others

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Nidaafreen Khan

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रिश्तों के अनोखे रंग।

रिश्तों के अनोखे रंग।

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रिश्ते ,नाते यह मेल से बनते हैं

सुनहरी मालाओं के यह अनमोल मोती होते हैं । 


अटूट प्रेम , अटूट बंधन के यह किस्से बयान करते हैं । 

कभी खट्टे , कभी मीठे बोल कहने वाले यह लोग होते हैं । 


समय के साथ यह सुनहरी माला जीवन के मँझधार 

मे टूटकर बिखर जाती हैं । 


अपने मतलब की सीमाओ मे झुलसते हुए 

यह रिश्ते होते हैं 

रिश्ते बनते हैं प्रेम से , खुशी से तभी तो वह अपने होते हैं 

रेशमी मुलायम फूलों की तरह नाजुक डोर से बंधे होते हैं । 


जीवन के कठिन मोड पर न जाने कहा खो जाते हैं 

जरूरत हो जब अपनों की तब अपने कहा काम आते हैं । 

झूठे अपनेपन की डोर से न जाने यह रिश्ते क्यों बंधे होते हैं ?


जरूरत के वक्त पराए अपने हो जाते हैं 

और अपने तो खुद ही पराए बन जाते हैं । 


अपनों के दिए हुए घाव अक्सर चुभते हैं 

विश्वास के टूटने पर रिश्ते डगमगा जाते हैं । 


ना अब पहले की तरह मेल होगा 

ना किसीसे उम्मीद होगी क्यूंकी अब यह रिश्ते पतझड़ 

के बिटप की तरह बन गए हैं । 


ना अब उनमें कोई चाह हैं ना कोई रंग 

बस रिश्तों की ठोकर ने कर दिया हैं 

उन्हें बेरंग । 



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