हर कोई समय का यात्री
हर कोई समय का यात्री
इस जग में हर कोई है समय का यात्री।
सूरज समय पर निकलता है सब काम समय पर होते हैं
रात समय पर होती है
हर रात की सुबह-समय पर होती है।
पक्षियों की चहचहाहट समय पर होती है।
हर इंसान की जिंदगी समय की यात्रा से चलती है।
यह अलग है इस यात्रा में कोई क्या करता है कोई क्या करता है
मगर समय का सम्मान सब करते हैं।
जो करता नहीं समय का सम्मान समय उसका सम्मान नहीं करता है।
और अच्छा समय हाथ से निकल जाता है।
फिर वह पछताते रह जाता है।
इसीलिए कहती है विमला
समय के साथ ताल से ताल मिला कर चलो जिंदगी में सुख पाओगे।
नहीं तो हाथ मलते रह जाओगे।
समय किसी का सगा नही। किसी के लिए वह रुकता नहीं। समय के साथ बढ़ती हमारी उम्र है।
जब कुछ काम अधूरे रह जाते हैं ।
तब हम हाथ मलते रह जाते हैं।
सोचते हैं हमने समय पर यह काम कर होता तो कितना अच्छा होता।
यह करा होता तो कितना अच्छा होता
मगर तब समय निकल गया होता है।
यह हर कोई जानता है कि एक दिन हमको यह मिट्टी में मिल जाना है।
यह संसार छोड़कर जाना है। मगर भौतिक सुख सुविधाओं में लीन है जिंदगी।
येनकेन प्रकारेण पैसा कमाने के लिए दौड़ते ही रहते हैं ।
ना खुद के लिए समय होता है। ना बच्चों के लिए समय होता है।
समय-समय का काम करता है।
बच्चे बड़े हो जाते हैं।
अपने आप में लीन हो जाते हैं।
जब आप अकेले हो जाते हैं।
काम से खाली हो जाते हैं।
तब मन में वह बात आती है। अरे मैं फालतू ही इतना पैसे के पीछे दौड़ा।
पैसा मैंने बहुत कमाया।
मगर पैसे खुद के लिए समय न कमाया।
अब यह पैसा मेरे किस काम का अब मैं चाहूं तो भी इसको खर्च नहीं कर सकता हूं।
इससे तो थोड़ा समय की कदर करके अगर बच्चों और परिवार के साथ में व अपने लिए समय निकाल होता ।
तो कितना अच्छा होता।
मगर तब समय हाथ से निकल जाता है।
कुछ नहीं हाथ आता है।
इसीलिए थोड़ा समय आप को दो ।
थोड़ा परिवार को दो।
थोड़ा प्रभु भजन भी कर लो।
सुख सुविधा में संतुलन कर लो।
जितनी चादर है उतने पांव फैला लो।
थोड़ी इंसानियत रख लो।
समय के साथ चलो।
समय की कद्र कर लो।
तो समय के सच्चे यात्री बन जाओगे।
जिंदगी में कभी भी दुख नहीं पाओगे।
क्योंकि चलती का नाम गाड़ी। थोड़ी अगाड़ी थोड़ी पिछाड़ी।
चलो बैठो रे भाई और गाड़ी को चलाओ।
समय के यात्री बन अपनी मंजिल पाओ।
