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VED PRAKASH MISHRA

Abstract

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VED PRAKASH MISHRA

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हर इंसान के अंदर एक जमाना है

हर इंसान के अंदर एक जमाना है

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ताने क्यूं दिए जा रहे हो 

कहीं पे छूटा काम दे दो


एक छोटा सा नाम दे दो

ऐसा कोई सपना दे दो


गजल नई अपना दे दो

जिससे नई सुबह हो, रात दे दो


इस तरह की बात दे दो 

(अब जमाना उठ)

एक हाथ दे दो, थोड़ा साथ दे दो !


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