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Subhadeep Chattapadhay

Abstract Others

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Subhadeep Chattapadhay

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हर हर महादेव

हर हर महादेव

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हर हर का नाद है,

जो बज रहा त्रिलोक में 

खोजो उनको देखो,

बैठे है वो कैलाश में।


है अजन्मा, उनका कोई अंत नहीं

बैठे है कैलाश में तो क्या

वो मुझसे दूर नहीं।


नाचे मगन, तो नटराज कहलाए,

अधर्म देख रुद्र बन जाए,

बाघ झाल पहन जब ध्यान लगाए,

जग को ज्ञान रूप दिखाए।


त्रिशूल धारी महादेव तू है,

काल से भी ऊपर महाकाल तू है,

जय कर मृत्यु मृत्युंजय तू है,

में बंधा पड़ा हूं इस मोह में,

शुरुआत तू और अंत भी तू है।


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