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Subhadeep Chattapadhay

Inspirational

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Subhadeep Chattapadhay

Inspirational

चींटी

चींटी

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मांसाहारी सोच रखी लाल चींटी के प्रति 

काले चींटी को शाकाहारी बना दिया 

जो देखा,जो सुना, जो समझा

बचपन में , उसी को सच मान लिया 

माना काँटना कर्म लाल का 

तो गुदगुदाना धर्म काले का 

न इससे आगे सोचा कभी,

लाल को देखा मरे के पास 

तो काले को पौधो के पास , जभी।


आज फिर से देखा लाल चींटियों को

खा रहे थे मज़े से , मरे उस कीट को 

बाँट सिर्फ अपनों में ;

मगर नज़र पड़ी काले पर जब 

देखा उसे भी उठाते सड़े कीट को

पकड़ कीट का वक्ष ,

अचंभित , अवाक था नहीं मैं ज़रा भी

पर दू किसे दोष इसकी गलती का 

साहब ,

वैसे ये धर्म भूख की बड़ी है काफी ।।



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