चींटी
चींटी
मांसाहारी सोच रखी लाल चींटी के प्रति
काले चींटी को शाकाहारी बना दिया
जो देखा,जो सुना, जो समझा
बचपन में , उसी को सच मान लिया
माना काँटना कर्म लाल का
तो गुदगुदाना धर्म काले का
न इससे आगे सोचा कभी,
लाल को देखा मरे के पास
तो काले को पौधो के पास , जभी।
आज फिर से देखा लाल चींटियों को
खा रहे थे मज़े से , मरे उस कीट को
बाँट सिर्फ अपनों में ;
मगर नज़र पड़ी काले पर जब
देखा उसे भी उठाते सड़े कीट को
पकड़ कीट का वक्ष ,
अचंभित , अवाक था नहीं मैं ज़रा भी
पर दू किसे दोष इसकी गलती का
साहब ,
वैसे ये धर्म भूख की बड़ी है काफी ।।