हर घर तिरंगा हो
हर घर तिरंगा हो
दिलों में देशभक्ति व अमन शांति का दिखता भाव चंगा हो।
कर्तव्य ऐसा करें कि अपने देश कोई भी नहीं भूखा भंगा हो।।
सहयोग की भावना रहे मन में खुशहाली चहुंओर दिखे।
भेदभाव नहीं करें किसी से, न किसी बात पर दंगा हो।।
हम सब मिलकर दिन रैन देश की सुंदरता व शोभा बढ़ाते रहें।
विश्व में जगमगाए अपनी धरती ऐसे कि लगे आकाशगंगा हो।।
देश की आन बान शान पर हम आंच न कभी आने देंगे।
वैश्विक पटल चमके अपना देश,यूँ लगे ज्यों व्योम में पतंगा हो।
देश है राम कृष्ण की धरती, कहलाती यहाँ पावन नदियाँ हैं।
धन्य है वह देश जहाँ पाप धोने वाला जल गंगा हो।।
उस देश पर दुश्मनों की गंदी चाल सफल हो नहीं सकती।
जहांँ उत्तर में हिमालय,अडिग प्रहरी बन लगाता अड़ंगा हो।।
सेनानियों ने अपनी कुर्बानी दे, अगस्त पंद्रह को आज़ादी हमें दिलाई।
आज़ादी के अमृत महोत्सव की 'रीत' यही हर घर तिरंगा हो।।