होंगे दूर सभी संताप
होंगे दूर सभी संताप
हृदय और आत्मा से कर लो गौरीशंकर महादेव का जाप ,
अपने हृदय से स्थित मिटा लो दैहिक दैविक भौतिक ताप !
जीवन में समस्त विघ्न बाधा संकट कभी स्वप्न में भी न व्यापे,
निर्भीक होकर बढ़ो व निर्भय हो जाओ, होंगे दूर सभी संताप !
पाणिग्रहण जब कीन्हां महेशा, हिय हरषे तब सकल सुरेशा,
शिव-शक्ति, प्रकृति-पुरुष का पाणिग्रहण, सृष्टि सृजन आधार !
नर- नारी सब हरष रहे, ईश सुरेश सब प्रकट कर रहे आभार
धरा, गगन, पावक, पवन, नीर, हैं सब जिनके सकल साभार !
जिसने पीयूष सदैव प्रकृति को दिया, गरल कंठ रखा अनिमेष,
प्रकटे जयोतिर्लिंग स्वरूप यथा स्थान विशेष महादेव सर्वेश्वर !
सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, विश्वनाथ, केदारनाथ, और ओंकारेश्वर ,
बैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, त्रयंबकेश्वर, घृष्णेश्वर महाकालेश्वर!
पशुपतिनाथ, अमरनाथ अलौकिक स्वरूप अभिराम अवनीश्वर!
हे वागर्थाविव, पार्वती परमेश्वरौ, कलत्रं, देवाधिदेव गिरिजेश्वर ,
प्रकटे जयोतिर्लिंग स्वरूप यथा स्थान विशेष महादेव सर्वेश्वर !
विनय करत जोर , भारत की प्रखर कीर्ति बना रखना महेश्वर !