होली
होली


आया फागुन बसंत में, मलने सबको गुलाल।
गालों पर होली सजे, रंगे अंग गुलाल।
टेसू फूले डाल पर, गाते फाग के गीत।
हर कोंपल संगीत दे, जँचे होली के गीत।
फाग पिचकारी ला रहा, बसंत ने दिया गुलाल।
धरती दुल्हन-सी सजी, पहने बासंती लाल।
ज्यों-ज्यों गहरी पर्त हुई, त्यों-त्यों निखरा गुलाल।
फागुन के हास-परिहास में, खिल आया रंग लाल।
होली ने रंग दिया, हर चटकीला रंग।
यूँ ही बीते जिंदगी अपनों को ले संग।
होली में रंग रंग गया, भक्ति हुई विभोर।
भावे न कोई रंग है, सत्कर्मों की हुई भोर।