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Rajiv Jiya Kumar

Abstract

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Rajiv Jiya Kumar

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होली आई

होली आई

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होली आई होली आई

भर रंग की फिर झोली

उमंंग संग संग लिए 

बसंंत की हसीं टोली आई।।

रंग गई धरती हरे रंग से

सरसों के पीले फूल भी

मचल रहे मस्त तरंग मेें

पलाश पर फिर लाली छाई,

होली आई , होली आई।।

पवन सनन सन गा रहे

मग्न हो गीत बसंत के

तप्त हो आकाश में सूरज

कहता कथा शीत के अंत के

हर दिशा मदहोशी छाई,

होली आई, होली आई।।

चाँँद तारो की रंगोली

मन को भाने,लुभाने लगी

इस रागिनी के राग राग में

सरोबार भींग कर अब तो

प्रियतम तुम्हारी याद ही

दिलो-जां पर है छाई, 

होली आई, होली आई।।

              


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