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Rekha Verma

Abstract

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Rekha Verma

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होली आई रे

होली आई रे

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होली आई होली आई

 रंगों से भरी झोली लाई

लाल गुलाबी नीले पीले

 तरह-तरह के रंंग है खिलाई

देखो रंगीनियों जमाती आई

होली आई होली आई

अंबर देखो हो गया लाल

धरती पर भी छाया धमाल

भैया ने पकड़ी कलाई

भाभी लाज से बड़ा शरमाई

और घुट रही यह ठंडाई


मम्मी भी मावे की गुजिया लाई

सबको प्यार से बड़ा खिलाई

होली खेलो पिया हरजाई

नहीं तो देखो होगी रुसवाई

यही बात समझाने आई 

मुख ना फेरो मस्ती छाई

होली आई होली आई

क्या बच्चे क्या बूढ़े जवान

रंगों से रंगे है चेहरे बेहाल

कर रहे हैं मस्ती ठोक कर ताल

चली है देखो फागुनी बयार

सब और खुशियां बरसाती आई

होली आई होली आई

रंगों से भरी झोली लाई

रेखा वर्मा 



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