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ARCHANNAA MISHRAA

Romance

4  

ARCHANNAA MISHRAA

Romance

हमसफ़र

हमसफ़र

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चलो फिर से इश्क़ करते हैं ,

कुछ मुझमें दूँढ लेना अपने को कहीं,

में भी मिल जाऊँगी तुममें कहीं,

चलो फिर से वो लम्हे साथ जीते हैं

जो छूट गए हे आपाधापी में कहीं 

फिर से एक प्याली चाय साथ पीते हैं 

चाय के टुकड़े फिर से दो चार करते हैं

 तुम साथ हो जो मेरे तो फिर से तमन्ना मचलने लगी हैं, 

बंद खिड़कियों में आकर हवा फिर से दस्तक देने लगी हैं,

चलो फिर से वो राहैं गुलज़ार करते हैं, 

जहाँ पहले पहल हुआ था आमना सामना क़भी

अतीत के झरोंखे में झाँकू तो वो एक सुखमय पल था,

फ़ुरसत की रातें ओर चैन का पल था,

वो स्वर्णिम दिन थे बड़े ,

जहाँ बजती रहती थी स्वरलहरियाँ ,

हृदय में उमंग उत्साह था 

संग में तुम्हारा साथ था , 

चलो ना फिर से वो मधुर तान छेड़ते हैं,

माहौल में फिर से ख़ुशबू घुल जाएँ,

ऐसा प्यार बेहिसाब करते हैं।

जहाँ में तुम्हैं महसूस कर पाऊँ, 

ओर तुम मेरे को थोड़ा समझ पाओ,

चलो ऐसे फ़ुरसत के पल ढूँढते हैं, 

एक सदी बीत गयी तेरा इंतज़ार करते हुए 

चलो संग में कुछ बिछड़े हुए पल जीते हैं,

 चलो फिर से इश्क़ करते हैं।


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