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कुमार जितेंद्र

Inspirational

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कुमार जितेंद्र

Inspirational

हमने जीना सीख लिया...!

हमने जीना सीख लिया...!

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मंथन से निकला अमृत -विष,

सबकी रही अमृत अभिलाषा

परमार्थ की ख़ातिर शिव ने,

लिया कंठ हलाहल सारा

गिरधर प्रेम की प्यासी मीरा,

पी गई तब विष का प्याला

उसी धरा के प्राणी हमने,

गरलपान भी सीख लिया

हमने जीना सीख लिया।


संकट में काम जो आया,

सब सामान मेरे थे

जीवनरक्षक, जीवनदायक,

सारे हाथ मेरे थे

जिसे बनाया कभी ना हमने,

उसे बनाना सीख लिया

महामारी से डट कर लड़ना,

आत्मनिर्भरता सीख लिया

हमने जीना सीख लिया।


21 वीं सदी हमारी हो,

सपना नहीं, जिम्मेवारी है

सारे मुल्कों पर अभी,

भारत का पलड़ा भारी है

स्वदेशी का मंत्र स्मरण,

स्वीकारना सीख लिया

उत्पादों को बेहतर बनाना,

विश्वस्तरीय करना सीख लिया

हमने जीना सीख लिया ।

हाथ जोड़कर अभिवादन,

दुनिया ने हमसे सीख लिया

ढ़के हुए चेहरे नहीं दिखते,

आँखों से हँसना सीख लिया ।

हमने जीना सीख लिया।।



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