हमारे बापू
हमारे बापू


जीवन के हर पटल पे जो थे अटल,
सत्य और अहिंसा थी उनको प्यारी।
दीवान के पुत्र थे, न देखी थी दुनिया-दारी,
पर देश प्रेम के थे वे पुजारी।
देख देशवासियो पे अत्याचार,
रहा न गया उनसे मौन,
नाम काम को मारी ठोकर।
हर अत्याचार के थे विरोधी,
सत्याग्रह के थे संचालक,
ली कसम तो न फिर डाली
तन पे कोई परिधान विदेशी।
खोई हुई, अपनी पहचान पाई
खादी और नमक में जान आई।
अड़िग थे, अचल थे अपने प्रण के !
न उड़ाया हथियार कभी,
जालिया के क्रोध को
प्रकट किया असहयोग से।
भारत छोड़ो का नारा किया बुलंद !
गुलामी से देश को किया स्वतंत्र।
सत्य और अहिंसा के पुजारी ऐसे थे,
हमारे बापू मोहनदास करमचंद गांधी।