हमारे अपने
हमारे अपने


हम अपने अपनों को ही ख़ुद से
अलग रखते हैं
ये सोच कर के अपने हैं
अपने हैं
वो तो हमेशा साथ रहते हैं
कहाँ जाएँगे, रूठेंगे पर फिर
मान जाएँगे
लड़ेंगे झगड़ेंगे पर फिर
मान भी जाएँगे
अपने हैं कहाँ जाएँगे
पर सोचा कभी
कि वही अपने ही तो हैं
जो साथ रहना चाहते हैं
जो दिल में है वो कहना चाहते हैं
तुमसे कुछ तुम्हारे दिल की
सुनना चाहते हैं
जानते हो, जब अपने दूर जाते हैं
तो दुःख से ज़्यादा अफ़सोस होता है <
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कि काश मैने अपने दिल की
बात उससे कही होती
कि काश सुना होता उसे
क्या कहना था।
क्यूँ दूरियों में रहे मेरे अपने
क्यूँ परायों मे मैंने लूटा दी
अपनी सारी मुस्कान..
इसलिये सुन लो पहले
अपनों की बात
दुनिया नहीं आती आँसू पोंछने
झूठे रिश्ते उड़ जाते हैं
परेशानी की गरमी में
भाप बनकर..
अपने ही होते हैं जो
तपते है साथ
शुष्क हालातों में
अपने ही होते हैं जो खड़े हो
जाते हैं साथ
जब हवाऐं चलती हैं
विपरीत दिशा में..