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Sudhir Srivastava

Tragedy

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Sudhir Srivastava

Tragedy

हम सब एक हैं

हम सब एक हैं

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कितना अच्छा लगता है

जब हम कहते हैं

कि हम सब एक हैं,

मगर इस एका के पीछे

सबके स्वार्थ अनेक हैं।

जात, धर्म के नाम पर

तमाशा खूब करते है,

ऊँच नीच का भेद नहीं

नेताजी मंच से कहते हैं,

पर ऊपर कुछ,अंदर कुछ

ये हम सब खूब समझते हैं।

भाईचारा का स्वांग भी

हम सब खूब रचते हैं,

गला काटने में भी हम

संकोच कहाँ हम करते हैं।

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम

रुप रंग क्षेत्र भाषा की

एका ऊपर से दिखाते हैं,

अपने स्वार्थवश ही हम

एक होने का बेसुरा राग गाते हैं।

कोई अपना नहीं है भाई

सारे ही यहां पराये हैं।

शेर की खाल ओढ़े

सब भेड़िए हैं यहाँ,

भेडियों की भीड़ मे

कुछ शेर शामिल हैं यहां

बस मौका मिलने की देर है

झपट शिकार भाग जाते हैं।

कोई किसी का नहीं जब

फिर कैसे हम एक हो गये

एकता के नाम पर तो

हम सब हमेशा छले गये,

हम सब एक हैं का नारा

गले में ही अटककर रह गये।


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