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Anju Gupta

Abstract

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Anju Gupta

Abstract

हम मुस्कुराने लगे हैं .....

हम मुस्कुराने लगे हैं .....

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जिनको कभी थे हम नज़रंदाज़ करते,

बन धड़कन वो दिल में, समाने लगे हैं !

आजकल बेवजह हम मुस्कुराने लगे हैं !


बदलने लगा है कुछ अंदाज़ अपना,

चुप रहते थे पर, अब गुनगुनाने लगे हैं !

आजकल बेवजह हम मुस्कुराने लगे हैं !


जिन आँखों में कभी था अश्कों का समन्दर

उन आँखों में सपने, सजाने लगे हैं !

आजकल बेवजह हम मुस्कुराने लगे हैं !


सजाए हैं जिनके ख्यालों में मेले,

ख्वाबों में उनके हम भी, अब आने लगे हैं !

आजकल बेवजह हम मुस्कुराने लगे हैं !


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