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हम मंजिल को पाएंगे

हम मंजिल को पाएंगे

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हम मंजिल को पाएंगे,
चाहे कितनी भी हो दूर मंजिल,
हम नयी राह बनाएंगे
हम मंजिल को पाएंगे।

अंगारे हो या शोले हो,
हम खुद को ज्वाला बनाएंगे
हम मंजिल को पाएंगे।

चाहे हों चारो ओर अंधेरा,
छोटा सा दीपक जलाएंगे
हम मंजिल को पाएंगे।

तोड़ अज्ञान की बेड़ी को,
हम स्वर्ण सवेरा लाएंगे
हम मंजिल को पाएंगे।

आजमा के देखलो हमें,
हम गीत नया गाएंगे
हम मंजिल को पाएंगे।

छोटे से हैं आज मगर,
बड़े बड़ो को हराएंगे
हम मंजिल को पाएंगे
हम मंजिल को पाएंगे।

 


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