STORYMIRROR

Shaurya Parmar

Abstract

4  

Shaurya Parmar

Abstract

कुछ करना है।

कुछ करना है।

1 min
440

ना किसी से कुछ कहना है,

ना किसी की बात सुनना है,

ये जिंदगी मेरी है,

बस मुझे ही चलना है,


ना में कमजोर हूं,

ना वक्त कमजोर है,

यह सफलता के बीच की,

अदृश्य डोर है,

आज तक दिलों में रहा हूं,

अंत तक रहना है,


ना डराओ पाप पुण्य से,

में मेरे करम जानता हूं,

ना डराओ मुझे शून्य से,

में मेरे करम जानता हूं,

सत्य की राह पर है,

तो फिर क्यों डरना है ?


सुख दुःख,दुःख सुख,

परिवर्तन जरूरी है,

जा के आना,आ के जाना,

परावर्तन जरूरी है,

कौन यहां अमर है?

तुझे भी मरना है,

मुझे भी मरना है,


अभी कहा मरा हूं,

में तो जिंदा हूं,

और जिंदा हूं तो जिंदा हूं,

बिना परों का परिंदा हूं,

अरमान इतना ही है कि,

मरने से पहले कुछ करना है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract