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ADITYA KRISHNAA

Abstract Inspirational

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ADITYA KRISHNAA

Abstract Inspirational

हम लड़के !!!

हम लड़के !!!

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कंधों पर जिम्मेदारियां,

आंखों में ख़्वाब पाल रहे हैं हम लड़के,

मुश्किलों को सीने में दबा,

होंठों पर मुस्कुराहट संभाल रहे हैं हम लड़के।


बचपन के वो खेल - खिलौने

गुमनाम - गली में छोड़े आ रहें हैं हम लड़के

क्रिकेट - कैरम और ढेरों यादें,

रिश्ता सबसे तोड़े जा रहे हैं हम लड़के।


पिता की फटकार को 

ज़ायदाद असली मान रहे हैं हम लड़के,

मां के हर दुलार को,

कायनात असली जान रहे हैं हम लड़के।


हां बहनों से बिन बात झगड़ रहें हैं हम लड़के

पर हर ख्वाहिश पर उनकी,

जान छिड़क रहें हैं हम लड़के।

भाइयों पर ढा थोड़ी जबर रहें हैं हम लड़के,

पर कदम एक साथ थिरक रहें हैं हम लड़के ।


यारों की गालियों में,

इज्जत बेशुमार ढूंढ रहें हैं हम लड़के,

और....

प्रेमिका की याद में,

नयन को भी मूंद रहें हैं हम लड़के।


सफलता पाने की होड़ में,

घर से दूर हो रहे हैं हम लड़के

विफलताओं का स्वाद चख - चख कर,

अंदर तक चूर हो रहें हैं हम लड़के।


सपनों के टूटने पर,

छुप - छुपकर रो रहें हैं हम लड़के।

और....

भविष्य की स्वर्णिम उड़ान,

आंखों में कैद कर,

हर रात सो रहे हैं हम लड़के।


अंधेरे कमरे और सुनसान गलियों में ,

अब भी डर रहें हैं हम लड़के 

हैं जिंदा मगर,

अंदर ही अंदर अब भी मर रहे हैं हम लड़के ।


हृदय अपना भी मोम - सा कोमल,

पर लौंडे सख़्त - सा बन रहे हैं हम लड़के,

जहान भर में जीतने को ,

अब तेज़ वक्त-सा बन रहें हैं हम लड़के ।।।

                     


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