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ADITYA KRISHNAA

Abstract Classics Inspirational

4  

ADITYA KRISHNAA

Abstract Classics Inspirational

साथी सफर के

साथी सफर के

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धीरे धीरे ही सही पर 

चल पड़ा ये कारवां है,

साथ रहना तुम यार हमेशा ,

फिर क्या ज़मीं और आसमां है,


थे मुश्किल हालात कभी जो,

या कभी जो दिल ये रूठा था,

तुम यार हमेशा हाज़िर थे,

जब हौसला भी टूटा था

मन की बातें थी जो सारी,

तुम शांति से सुनते थे,


बैठे थे तुम दूर कहीं पर,

हम दूर कहीं से कहते थे,

कदम कदम पर तुम ओ यारा 

साथ हमारे चलते थे,

सुनने को कविता हमारी,

तुम ही तो हमेशा रहते थे,


ज्यादा कुछ कहना नहीं अब,

हम यार बड़े जज़्बाती हैं,

बस यूं ही बना ये साथ रहे

जैसे दिया और बाती हैं


साल भले ही बदल जायेंगे,

पर साथ कभी न छोड़ेंगे

ये दोस्ती ये मित्रता 

हम यार कभी न तोड़ेंगे


शुक्रिया हर बार तुम्हारा,

शुक्रिया हर वक्त तुम्हारा,

नए साल के खुशियों में,

कुबूल कर लेना ये तोहफा हमारा।


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