आत्मशक्ति
आत्मशक्ति
परिस्थितियाँ हो जैसी भी,
मजबूर नहीं मजबूत बनो तुम,
कलयुग के इस महाभारत में,
धर गाण्डीव एकलव्य बनो तुम ।
तो क्या हुआ जो दुःख आए हैं,
कब इनके बिन सुख भाए हैं ।।
बाधाएँ जब आ जाए तो,
उनसे मत घबराना तुम,
रख धीरज संग हिम्मत खुद में,
बेखौफ हो लड़ जाना तुम ।
आत्म-लक्ष्य से भटक न जाना,
जीत सुनिश्चित करके आना ।।
कालखंड के चक्रव्यूह में,
फँस कर मत रह जाना तुम,
मंज़िल पाने की चाहत में,
अर्जुन-सा बन जाना तुम ।
रंग-बिरंगी इस जीवन में,
ग़म के बादल छा जाएँ तो,
उनसे मत डर जाना तुम,
बरसा कर कुछ बूँद खुशी के,
स्वर्ण सवेरा संग लाना तुम ।।
अडिग पथिक की चाह बनाकर ,
दृढ़ निश्चय अब कर लो तुम,
छोड़ विगत के दुखद पलों को,
सुखद राह अब चुन लो तुम,
तोड़ हताशाओं की जंजीरें,
एक प्रयास फिर कर लो तुम ।।