हम ही निर्माता हम ही निर्देशक
हम ही निर्माता हम ही निर्देशक
बहुत सारे ग्रुप, मंच, समितियाँ आज कल ,
फेसबुक के पन्नों में उभरने लगी है !
हम जमाने के साथ साथ बच्चे, बूढ़े, नर, \
नारियाँ एक शक्ति बन के उभर रहीं है !!
पर अधिकांशतः अपने लक्ष्य को छोड़ ,
नयी दिशा की तलाश में भटक रहे हैं !
पोस्टर तो कुछ और दिखाकर लोगों को ,
अपना हम फिल्मों को ही बदल देते हैं !!
हम घोषणा करके लोगों को निमंत्रण ,
भेजकर उनको घर बुलाकर बिठाते हैं !
आदर से सत्कार करके घर के आँगन ,
में पारंपरिक गीत से स्वागत करते हैं !!
बाद में तस्वीर कुछ धुंधली नजरों के सामने ,
आकर हमें झकझोर कर देती है !
एडमिन के वर्चस्व ही देखके हम तो ,
चकित है और आँखें खुली रह जाती है !!
हमारा तन्त्र है, लोग है हम ही निर्माता-
निर्देशक है पहले अपनों को देखेंगे !
कश्मीर, अयोध्या को छोडो नए कानून ,
को लाकर सबके ध्यान को मोडेंगे!!
