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sunil saxena

Inspirational

4  

sunil saxena

Inspirational

हम हैं वीर

हम हैं वीर

2 mins
66



वो आए हैं अपना ढोल बजाते,

समझ के हंगामे से भूतों को है भगाना

जो ना जाने वो, की आत्मा है भूत,

और वो अजर है, अमर है, शुद्ध है, स्वच्छ है,

सुन्दर है, निर्मल ह , वह है सर्व-भूत

वो एक है गली का गुंडा, और एक है,

फेंके पैसे के बदले में तुम्हारे शरीर का 

अंग लेने वाला साहूकार की भांति


पर वो कहते हैं अपने को फौजी

आए हैं वो टकराने वीरों से

वीरों ने उठा लिए हैं आज अपने शस्त्र,

जो कभी त्यागे थे, अपने अहिंसा के संकल्प में

हो गई जो आज मूठभेड़ तो हम खायेंगे

सीने पर वार अपने, उन दोनों के हर वार

और कोई तीसरा आएगा तो छटा देंगे उसे भी हम धूल

जो भूल गए हैं वो अपनी सीता राम की धरती का मान

बन कर साहूकार के खोटे सिक्के का केवल एक चेहरा

जिस चेहरा को हथिया लेगा साहूकार

अपने कुटिल भाव से

आज संख्या है हमारी तीनों पर भरी


हमें अकेला ना समझना अब

हमारे साथ भी खड़े हैं अनेक वीर

जो हमने सह लिआ तुम्हारा हर वार ,

और करा वैसा ही पलट वार

तो भागेगा सबसे पहले गुंडा और

उसके पीछे पीछे होगा साहूकार

जो डर दूर हो गया साहूकार के गुर्गे की संख्या से

तो बाकि सब भी बना देंगे साहूकार के डंडे का गन्ना,

और कर देंगे गुंडे का बहिष्कार

पहुँच चूका है साहूकार अपनी सीमा के पार,

अब आगे है ढलान शुरू

जो हुआ ब्रेक फेल उसका तो गिरेगा सीधे मुंह के बल

कोई भी असीम नहीं, न तो गुंडा और न ही साहूकार

और वीर कभी निर्बल नहीं,

वो केवल शांत और संयम में था

किंतु आज वीर के हाथ में है त्रिशूल

और बजा उठा है वो डमरू


ले सकते हैं हम भी तांडव से प्रेरणा और

बहा सकते हैं अपना लहू निःसंकोच

हर इंसान के रक्त की हमें कदर है,

क्योंकि, हम हैं वीर

ना की गुंडे और ना ही साहूकार

हर इंसान का मान है, समान है,

क्योंकि, हम हैं सभ्य, हम हैं वीर

ना भूल करना हमें निर्बल समझना ,

तीनों दिशाओं से देंगे तुम्हें उत्तर

वीरों की भांति लड़ेंगे, वीरों के लिए लड़ेंगे

ये न हो के तुम बिखर जाओ अपने ही घर में

वीरों से उलझने के चक्कर में

वीरगति को भी अपनाएंगे, अपने बल पे,

ना की अब तुम्हारे छल से

साथ लेकर चलेंगे तुम्हे भी ,

अपनी ही संख्या में, यमलोक में

जो ना जानो तुम, की हम हैं यमराज के भी भक्त

हम हैं माँ  भारती के वीर,

हम हैं वीर

हम हैं वीर

हम हैं वीर….



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