हम धरती माँ को बचाएँ
हम धरती माँ को बचाएँ
कलकल बहती नदिया
प्रेम का संदेश लाएं।
धरा पर फैली हरियाली
मधुर राग सुनाएं।
हवाओं की सरसराहट
मधुर खुशबू फैलाए।
जीवन के सारे पहलू,
है प्रकृति की गोद में समाए।
प्रकृति का सानिध्य,
मन में संवेदनाएं जगाए।
वटवृक्ष की शीतल छाया,
भाव मातृत्व का लाए।
वृक्ष की फलित लताएं,
परोपकार का रंग उड़ाए।
जीवन के सारे सुख,
प्रकृति की गोद में ही पाए।
अनोखा रूप प्रकृति का,
हरदम मन को लुभाएं।
कभी रहती मौन धरा
कभी तांडव रूप दिखाएं।
कभी रहती रिक्त धारा
कभी हरियाली की चादर
ओड़ जाए।
कर संरक्षण प्रकृति का
हम धरती माँ को बचाएँ।