हम भी जी लेते ज़रा
हम भी जी लेते ज़रा
डस्टी शाम के साये में
कॉफ़ी की चुस्की ओर केरमलाइज़
पोपकोर्न की लज़्जत संग तुम मिल जाते तो
जी लेते ज़रा खुशियों के
दो घूँट हम भी पी लेते ज़रा !
कभी-कभी ये खयाल गुनगुनाते
सोचती हूँ क्या तुम भी मेरी तरह
भावुक होते मेरी याद में भरमाते हो ज़रा !
दिल की फ़रमाइशें बड़ा लाड़ करती है,
चाव से डाँट कर ना दबाते तो जीने ना देती,
कहाँ पता पागल को फासलों में
कटी है ज़िंदगी अपनी !
छोटी सी स्क्रीन का मोहताज है रिश्ता
मैं यहाँ तुम वहाँ ज़िंदगी है कहाँ
गुनगुनाती चाहत को सहलाते निभाना है !
संक्षिप्त सी प्रेम कहानी में
प्यार को जताने की ख़्वाहिश
उन्मादीत करती है मन को पर,
व्यस्त से तुम, बावरी सी मैं
कन्वर्सेशन की अनुपस्थिति में
तलाशते रहते हैं हम वो लम्हें जो हम
असल में एक दूसरे संग जीना चाहते हैं !
हरे बिंदु की उम्र बढ़ाने की चाह तो
हम दोनों की रही पर मेरे समय से
तुम्हारी घड़ी की बनती नहीं !
वर्तमान को जीने की चाह
व्हिस्की में बर्फ़ की तरह पिघल जाती है
बरकरार रहे ये छोटी छोटी
मुलाकातों के सिलसिले बस !
जब जब अंतर्मन में तलब उठती है तुम्हारी,
"मैं कोफ़ी की सिप लेते मुस्कुरा लेती हूँ"
ओर शार्प उसी वक्त ट्रिन करते तुम्हारा
मैसेजवा हमार स्क्रीन पर झिलमिलाता है
"हाय रानी क्या कर रही हो"
ओर मेरी मुस्कान फैल जाती है
होठों से उभरती पूरे चेहरे पर।
