हम और तुम
हम और तुम
आओ मिलकर लिखें इतिहास के पन्ने,
जो लिखे न कोई दोबारा।
फिर से मिलकर हो जाये,
हम तुम एक और एक ग्यारह।
आओ जीत ले जहां को,
बन जाये एक ताक़त।
न खत्म हो जीत का जज़्बा,
न इससे मिले कभी राहत।
तू संग है तो मुमकिन है मेरे यारा
हम तुम एक और एक ग्यारह।
हिला दे मिलकर पर्वतों को भी,
निकाल ले पत्थरों में भी राह।
डटकर करें सामना हम,
न करें किसी की परवाह।
जुड़ जाए ऐसे जैसे ईंट और गारा
हम तुम एक और एक ग्यारह।