"हकीकत"
"हकीकत"
चार दिन की जिन्दगानी,
रामा,भजन कर लो प्राणी ।
पहलों दिना, बचपन गुजारो,
गोदी खेले दादी नानी।
चार दिन की जिन्दगानी,
रामा--------------
दूजो दिना अब आ गई जवानी,
खूबै करी मनमानी।
चार दिन की जिन्दगानी,
रामा------------
तीजो दिन अब गयो बुढ़ापों,
को देहें अब भैया पानी।
चार दिन की जिन्दगानी,
रामा-----------
चौथों दिना अब चलिवें की बेरा,
खतम भई सब कहानी।
चार दिन की जिन्दगानी,
रामा----------
मूरख जन्म तूनें भजन न कीन्हों,
वातन में खो दई जिन्दगानी।
चार दिन की जिन्दगानी,
रामा ------------
चार दिन की जिन्दगानी,
रामा,भजन कर लो प्राणी ।
