हिंदुस्तानी मजदूर
हिंदुस्तानी मजदूर
मैं एक हिंदुस्तानी मज़दूर हूं
लोग समझते मैं एक मजबूर हूं
पर मैं बता दूँ उन्हें ज़रा सा,
मैं स्वाभिमान का कोहिनूर हूं
भले भूखे मर जाऊँ
पर हाथ न फैलाऊं
मैं प्रताप का ही एक दूत हूं
मैं स्वाभिमान का संगीत हूं
मैं एक हिंदुस्तानी मज़दूर हूं
लोग समझते है,
मैं ग़मों का मारा हूं,
पर मैं तो शूलों से निकला
फूलों का ही एक बीज हूं
मैं एक हिंदुस्तानी मज़दूर हूं
सर्द हवाएँ झुकती है
गर्म हवाएँ रुकती है
मैं हर मौसम का,
गाया हुआ एक गीत हूं
मैं एक हिंदुस्तानी मजदूर हूं
टूटा हुआ सा एक दिल है मेरा
हाथों से छूटा हुआ निवाला है मेरा
फिर भी लोकडाउन में साथ हूं
मैं चाहे भूखा सो जाऊँ
फिर भी साथ निभाउंगा
मैं भारत की एक जीत हूं
मैं कोरोना की महामारी का,
एक अनजाना सा वीर हूं
मैं एक हिंदुस्तानी मजदूर हूं
अपने मजबूत इरादों का
हिमालय का अटल तीर हूं
मैं एक हिंदुस्तानी मज़दूर हूं
मजबूरी भले पेशा है मेरा,
पर खुद्दारी की एक जंजीर हूं
में एक हिंदुस्तानी मज़दूर हूं