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Shireen Parween

Children

4  

Shireen Parween

Children

हिन्दी की अभिलाषा

हिन्दी की अभिलाषा

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राष्ट्र भाषा की बोली है न्यारी 

यह हमारी हिन्दी प्यारी 

आती है याद सिर्फ 14 सितम्बर को 

रख पाते हैं हम इसका कितना


ध्यान,हर पल हर दिन करते हम 

हिन्दी बोलनेवालों का अपमान,

कैसी यह दुर्दशा आ गई है 

जहाँ यह लाचारी से बच्चों को गुजरना पडता है 


काका कालेलकर, गुप्त जी,दिवेदी जी जैसे 

महान साहित्यकारोंं ने बढ़ाया इसको आगे, 

मिट्टी में मिला दिया हमनेे

इसकी कोशिशों,

को और बना दिया लाचार 


न ही यह एक स्पर्धा है

और न ही यह एक प्रतियोगिता 

लोगों को रुबरू कराना है इसका उद्दे

श्य 

जिससे इसकी अपनी पहचान बन पायेे 

देवनागरी हैै इसकी लिपि, 


सहज और मनमोहक है इसकी छवि 

बोली से करती वह मुग्ध, 

जो पढ़े, वह भी समझजाये

हिन्दी थी जन जन की भाषा,यही थी इसकी अभिलाषा 

हिन्दी दिवस का यह दिन बस


दिन न मनाओ, बच्चों से 

बुजुर्गों तक यह त्योहार तुम रोज मनाओ,

आजाद भारत में था इसका योगदान 

इसीलिए मिला इसे हिन्दी दिवस का विशेष स्थान,

असंख्य भारतीयों की बनी वह 


"राजभाषा"

विश्व भर में कहलायी "राष्ट्रभाषा "

राष्ट्र भाषा की बोली है न्यारी 

यह हमारी हिन्दी प्यारी।


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