हिंदी का जन्मदिन
हिंदी का जन्मदिन
हिंदी ही समेटे है हिंदुस्तान
इसी में मन मिलाते हैं हम
मस्तिष्क की कुंजी है ये ही
इसी में सोचकर भुलाते हैं गम
हम थोड़ा कम पढ़ने लगे हों इसको
पर दुनिया में इसको सीखने की चाह
इतना साहित्य भरा पड़ा है इसमें
और फिल्में इसमें तो बस भई वाह
हिंदी का जन्मदिन
इसका संगीत से भी है पुराना नाता
इसमें लिखे गाने है बच्चा बच्चा गाता
कविता की तुक इसमें अच्छी है मिलती
प्रेमी छेड़े राग तो प्रेयसी को भाता
पर जब इसका दिवस मनाते हैं
तो जरा मन को कुछ अखरता है
दैनिक काम का इक दिवस कैसा
प्रश्न ये खुद से दिल करता है
ठीक है माँ के जन्मदिन की तरह
ये आज का दिन भी लेते हैं मना
हर मौलिक विचार की जननी है यही
जीवन का हर पहलू इसी से है बना।