STORYMIRROR

Praveen Gola

Inspirational

3  

Praveen Gola

Inspirational

हिंदी बोलने में शर्म कैसी ?

हिंदी बोलने में शर्म कैसी ?

1 min
99


हिंदी तो स्वयं में संपूर्ण है,

फिर क्यूँ कहें कि ये अपूर्ण है ?

इसे बोलने वाला कितना शांत है,

कोई और भाषा ना इसके उपरांत है।


हर प्रांत में इसे बोला जाता है,

हर दिल का इससे गहरा नाता है,

माना कि ये अभी राजभाषा है,

पर राष्ट्रभाषा से ज्यादा इससे आशा है।


फिर इसे बोलने में बताओ शर्म कैसी ?

जिसकी जितनी समझ उसकी सोच वैसी,

इसे जानने वाले को मिलती नौकरी नहीं,

और अंग्रेजी बोलने वाले के लिए हर नौकरी सही।


ऐसा भेदभाव हम खुद बनाते हैं,

और अपने ही जाल में फँस तिलमिलाते हैं,

इसलिये हिंदी बोलने वालों को आदर दिलवाना है,

और जो नहीं बोलते उन्हे अवगत करवाना है।

कि हिंदी बोलने में शर्म कैसी ?

हम उस हिन्दुस्तान की संताने हैं,

जहाँ अपने देश पर मर - मिटने को,

आज भी खड़े लाखों दीवाने हैं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational