एक और एक ग्यारह का दम भाषा बोली अलग-अलग है। एक और एक ग्यारह का दम भाषा बोली अलग-अलग है।
इस कविता को पढ़कर समझिए मेरी वाणी । इस कविता को पढ़कर समझिए मेरी वाणी ।
अंश हूँ वसुधेव कुटुम्बकम् वासी मैं अपने भारत का। अंश हूँ वसुधेव कुटुम्बकम् वासी मैं अपने भारत का।
हर प्रांत में इसे बोला जाता है, हर दिल का इससे गहरा नाता है, हर प्रांत में इसे बोला जाता है, हर दिल का इससे गहरा नाता है,
बचो इस जहरीली आंधी से जो ढाती चली आ रही है हर उस इमारत को बुलंद की थी जो आजादी के मतवालों ने लहू ... बचो इस जहरीली आंधी से जो ढाती चली आ रही है हर उस इमारत को बुलंद की थी जो आजादी...