माना हैं वो दूर मुझसे मिलने का कोई चारा नहीं, माना हैं वो दूर मुझसे मिलने का कोई चारा नहीं,
इबादत की तरह मोहब्बत की थी कभी, तुमसे कुछ कहने की जुर्रत की थी कभी दरख़्त से टूट कर आज भी जब कोई प... इबादत की तरह मोहब्बत की थी कभी, तुमसे कुछ कहने की जुर्रत की थी कभी दरख़्त से ट...
बचो इस जहरीली आंधी से जो ढाती चली आ रही है हर उस इमारत को बुलंद की थी जो आजादी के मतवालों ने लहू ... बचो इस जहरीली आंधी से जो ढाती चली आ रही है हर उस इमारत को बुलंद की थी जो आजादी...