हिंदी बीर रस कविता – दगाबाज बा
हिंदी बीर रस कविता – दगाबाज बा
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
घात लगाके करते आघात दगाबाज बाज तो आओ ।
बिना बात देते गोला दाग दगाबाज बाज तो आओ ।
तू हमारी सराफत कमजोरी समझ भूल कर जाता ।
करे वार बेवजह बेआवाज दगाबाज बाज तो आओ ।
अपनी बरबादियो का होता तुझे कभी एहसास नही ।
दिए है तुझे कई घाव अब दगाबाज बाज तो आओ ।
दिया करारी चोट कारगिल हार क्यों भल गया तू ।
दिया सर्जिकल स्ट्राइक दाग दगाबाज बाज तो आओ ।
जब देखो काश्मीर राग तुम अलापते गाते हरदम ।
छेड़ोगे पछाडेंगे धोबिया दाँव दगाबाज बाज तो आओ ।
गिन गिन तेरे शागिर्दों घाटी कश्मीर साफ़ किया हमने ।
चाहता तू हो पाक पूरा साफ दगाबाज बाज तो आओ ।
है हिन्दुस्तान की सेना लौकी बतिया नहीं मर जाएगी ।
कर देंगे सुपड़ा तेरा साफ़ दगाबाज बाज तो आओ ।
बिगाड़ा क्या तेरा निर्दोसो निहत्थो लासे बिछाते हो तुम ।
करेगा भारत ना तुझको माफ़ दगाबाज बाज तो आओ ।
शेरे हिन्द जवान जिगर फौलादी हुनर बाज रखते है ।
एयर स्ट्राइक किया बर्बाद दगाबाज बाज तो आओ ।