हिंद के सपूत
हिंद के सपूत
हिंद के सपूत हम
बिल्कुल ना घबराते हैं,
हम जब रण में उतरते है,
दुश्मन कांप जाते हैं ।।
शौर्य हमारा दुनिया जानती,
हम फौजी जलाते अंगारे हैं ।
दुश्मन को हम दिन में
दिखाते चांद सितारे हैं ।।
हम फौजी के बल पर ही
सर मुकुट हिमालय मुस्काता है ।
सारी दुनिया को अपना
पौरुष तेज दिखाता है ।।
जो कदम बढ़ाते आगे
उसको फिर पीछे नहीं हटाते हैं,
हम अपने त्याग बलिदान से
आजादी की पावन मशाल जलाते हैं
