हिजाब
हिजाब
चेहरे पर हिजाब ये जांचता नहीं है तुम्हारे।
न पहनो हिजाब असलियत नज़र आने दो।
इस हिजाब में छुपा रखे हैं न जाने कितने ही राज।
अब इन राजों से पर्दा थोड़ा तो उठ जाने दो।
तुम्हारे इस हिजाब ने न जाने कितनों को दिया धोखा है।
अब तुम्हारे सब धोखों का हिसाब हो जाने दो।
वैसे तो ये हिजाब तुम्हारा, खूबसूरती तुम्हारी बढ़ा देता है।
अब तो समझ जाओ, खुद को दुनियां के सामने आने दो।
बहुत बातें की हैं तुम्हारी नजरों ने हिजाब के पीछे छुपकर।
हटा दो हिजाब चेहरे से भी कुछ बातें चेहरे से भी हो जाने दो।।
ये न सोचो कि ताउम्र ही रहोगी हिजाब के अंदर।
हटा न देना एक साथ ही, धीरे धीरे इस हिजाब को गिर जाने दो।
क्यूं तकल्लुफ करती हो, क्यूं जमाने से डरती हो।
जो होगा वो होके रहेगा, जमाने भर में अब इस हिजाब के चर्चे हो जाने दो।।