हिदायतनामा
हिदायतनामा
खौफ रहा उनकी निगाहों का हम सभी को
मगर उनकी परवाह भी याद है हमें
इम्तिहान के दिनों में बेवजह उनका जगना
हमें जगाने के लिए चाय और कॉफी बनाना
उन सर्द भरी रातों में रजाई से निकल कर चूल्हा जलाना
बैठकर हमारे पास हमें पढ़ाना
फिर अहले सुबह तैयार होकर दैनिक दिनचर्या में जुट जाना
तीज त्योहारों पर बनाना ढेरों पकवान
रंग बिरंगे कपड़े सिलना
इस्त्री करके हमारे कपड़ों पर हमें सुव्यवस्थित दिखाना
याद है हमें उनकी सभी बातें
सुख दुःख साझा करके सहेली बन जाना
हाले दिल हमारा टटोल कर बाखबर रहना
खाते पीते खेलते सोते हुए
नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाना
सुनाना हमेशा अर्थपूर्ण प्रेरणादायक कहानियां
बेतरतीब सो जाने पर इधर उधर कहीं
कायदे से सुलाकर चादर ओढ़ाना
घोंटकर जन्मघुट्टी में ही संस्कार का पिलाना
तौर तरीके, हया अदब सब धीरे-धीरे
समझाना
शिक्षा, दीक्षा, ज्ञान देकर हम सबको परिपूर्ण बनाना
याद है हमें हमारी मां की हिदायतनामा ।