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Sarita Garg

Inspirational

4  

Sarita Garg

Inspirational

हे राम !

हे राम !

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हे राम... क्या कभी आओगे

मेरे बुलाने पर....

हे राम.... क्या कभी खाओगे

मेरे झूठे बेर.....

हे राम...क्या कभी बैठोगे

मेरी टूटी नाव में...

हे राम... क्या कभी करोगे

मेरी प्रस्तर रूपी आत्मा का उद्धार

हे राम... क्या कभी तोड़ोगे

मेरे अभिमानी मन की प्रत्यंचा को

हे राम.... क्या कभी कर पाओगे

ऐसा.... कि मैं छोड़ सकूं अपने हठ को

जैसे छुड़ाया आपने अपने अनुज से

हे राम... क्या समझा पाओगे

मेरे अहंकारी मन को नीति का सार

हे राम....क्या कर सकोगे

मुझे लक्ष्मण रेखा में रहने को बाध्य

हे राम...क्या जगा सकोगे

मुझमें मर्यादा पुरुषोत्तम भाव

हे राम.... क्या सीखा पाओगे

मुझे वो प्रेम, योग और भोग का सामंजस्य

हे राम... क्या कर पाओगे

कि मैं.... एक तुच्छ प्राणी ना रहकर

सनातन आत्मा से एकाकार कर सकूं

हे राम.... क्या जगा पाओगे

मुझमें जीवटता का भाव

कि मैं भी कर सकूं मानवता का उद्धार

नहीं... हे राम.... नहीं कर पाओगे

ये कटु सत्य है कि...

तुम नहीं कर पाओगे.....

क्योंकि तुम ईश्वर हो....

तुम वो सब कर पाए

क्योंकि तुम पृथ्वी पर अवतार बन कर आये

तुम मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाये

क्योंकि तुम्हारा पृथ्वी पर

अवतरण इसी उद्देश्य के लिए हुआ

लेकिन... फिर भी.....

तुम कहीं स्वयं के अवतार स्वरूप को भूल गए ...

मानवीय चोले को अंगीकार कर लिया शायद....

अन्यथा.....

तुम क्यों मृगतृष्णा से बहकते

तुम क्यों सीता वियोग में बिलखते

तुम क्यों दशरथ मृत्यु पर विलाप करते

तुम क्यों भरत मिलाप से प्रसन्न होते

तुम भी तो नहीं रहे अछूते

तुम नहीं बन पाए स्थितप्रज्ञ

तुम नहीं दिखा सके अपनी अटलता

तुम नहीं सीखा पाए

सीता को आरोपित करने वालों को कोई पाठ

तुमने भी वही किया जो

एक आम मानव कर सकता था....

क्यों नहीं तुम खड़े हुए विरोध में

क्यों नहीं तुम जता पाए उस समाज को

क्यों नहीं तुम समझा पाए उस अज्ञानी को

क्यों तुम मजबूर हुए जबकि तुम मजबूत थे

क्यों तुम्हें अग्नि परीक्षा का विचार आया

क्यों तुम नहीं खड़े हुए उस अग्नि में

ये साबित करने के लिए कि

तुम सीता विरह वेदना पलों में प्रसन्न नहीं थे

क्यों ये साबित करना सीता के हिस्से आया

क्यों नहीं तुम उस पल में अडिग खड़े हुए

पित्र वचन की पूर्ति हेतु तुमने महल त्याग दिया

क्यों नहीं पत्नी हेतु एक बार वो सिंहासन त्यागा

जिस के लिए तुमने सीता त्याग किया

क्यों नहीं तुम ये उदाहरण रख पाए कि

राज पाट तुम्हारे लिए सीता के बाद है

हे राम..... ये क्या परिपाटी बना डाली तुमने

हे राम.... एक बार फिर अवतार लो

पर इस बार सबके साथ न्याय करना....

केवट, शबरी, अहिल्या..... के साथ

जननी कौशल्या और भार्या सीता का भी ...

ध्यान रखना।



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