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Sarita Garg

Others

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Sarita Garg

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रेत के घर

रेत के घर

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चाहतों के खंडहर मत बना,

फूल बो काँटों के जंगल मत बना।

होगी रुसवा एक दिन तेरी वफ़ा,

प्यार की जन्नत यहाँ तू मत बसा।

कब किसी का हो सका है ये जहां,

टूटते साहिल पे डेरा मत जमा।

पत्थरों के शहर में टूटेंगे ही,

शीशों से घर को अपने तू न यूं सजा।

खामोशी बेज़ायका होने लगे,

अपनी ज़ुबाँ को इतना कड़वा मत बना।

बूंद ही बस इक मिटा देगी वजूद,

बारिशों में रेत के घर मत बना।।



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