हे गणपति, हे गजानन
हे गणपति, हे गजानन
हे गणपति, हे गजानन
हे विघ्नकर्ता, तुमको नमन है
स्वागत में पलकें बिछाई है मैंने
आओगे मेरे घर भी
यह उम्मीद जगाई है
दोगे वरदान मुझे भी
अपने लेखन से लिखुँ
रचनाएँ नित नयी
तुम माता के दुलारे
पिता के प्राण प्यारे हो
तुम्हें पूजे सबसे पहले
माँ से आर्शीवाद है मिला
अपनी माँ से मेरे लिए
एक वर माँग लेना
जो कहती है भाई तुम्हें,
उसे दर्शन दे देना
विनय तुम्हारी
न टालेगी अब तो
माँ के लाडले से ही
हर बात कही जायेगी।
