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JAYANTA TOPADAR

Inspirational

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JAYANTA TOPADAR

Inspirational

हद...

हद...

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पार न कर तू

बेईमानी की हद ...

वक्त की मार से

न कोई बच पाया ,

तू क्या अपनी

दौलत का आशियाना 

बसा पाएगा ...!

इस जहाँ की

हरेक बात निराली है ;

बस थोड़ा-सा

संभल जाओ ...

नहीं तो तुम्हारी

अंतरात्मा की आवाज़

सीने में ही

दब कर रह जाएगी ...!


तू क्या लेकर

आया था,                

तू क्या लेकर

जाएगा ...?

ये तेरी कैसी होड़,

जो तू हर पल

एक अंधी दौड़ में

लगा हुआ दिखता है...?

अरे, नासमझ !

अब तो रुक जा...

और कितना दौड़ेगा ??


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