STORYMIRROR

सीमा भाटिया

Inspirational

3  

सीमा भाटिया

Inspirational

हौसलों के दीप

हौसलों के दीप

1 min
231

प्रगति की दौड़ में

कदम आगे बढ़ चले

तिमिर को चीरते हुए

हौसलों के दीप जले..


स्याह अंधेरों से निकल

मानवता का पाठ पढ़ा

आदिम युग को विसार

चांद की ओर कदम बढ़ा..


आदम युग की रिवायतें

नवयुग की ओर मोड़ दे

असीमित अनंत नए

आकाश का विस्तार दे..


राह भले ही हो कठिन

असंभव कुछ भी नहीं

अपने कदमों तले है अब

क्या आसमां और जमीं...।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational