मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक मुद्दों पर लेखन
यूँ तो मोहब्बत भी इबादत से कम नहीं होती ख्वाहिशों को पूज के आए, वो तुम ही थे न। यूँ तो मोहब्बत भी इबादत से कम नहीं होती ख्वाहिशों को पूज के आए, वो तुम ही थे ...
मान कितना था अपनी परवरिश पर मुझे जाने कब दूध के कर्ज से मुकरने लगे हो तुम... मान कितना था अपनी परवरिश पर मुझे जाने कब दूध के कर्ज से मुकरने लगे हो तुम...
वक्त बचा बहुत कम फैला कारोबार है तानों उलाहनों की मची भरमार है वक्त बचा बहुत कम फैला कारोबार है तानों उलाहनों की मची भरमार ...
अब विरह की घड़ी भी आ गई कजरा बह गया अँखियों से यूँ ही गजरा भी सूख कर बिखर गया अब विरह की घड़ी भी आ गई कजरा बह गया अँखियों से यूँ ही गजरा भी सूख कर बिखर ...
पर यह क्या! सब कुछ गया उबल गैस पर रखी चाय की तरह ही... पर यह क्या! सब कुछ गया उबल गैस पर रखी चाय की तरह ही...
फूलों की खुशबू सा महके हरदम लाड दुलार तुम्हारा.. फूलों की खुशबू सा महके हरदम लाड दुलार तुम्हारा..
कोई लौटा दे वो बीते हुए पल जो जिंदगी को इक वजह देते थे। कोई लौटा दे वो बीते हुए पल जो जिंदगी को इक वजह देते थे।
अपने कदमों तले है अब क्या आसमां और जमीं...। अपने कदमों तले है अब क्या आसमां और जमीं...।
वृक्ष लगाएँ , देश बचाएँ प्रदूषण हटे, शुद्ध पर्यावरण हो...। वृक्ष लगाएँ , देश बचाएँ प्रदूषण हटे, शुद्ध पर्यावरण हो...।
धीमी तपती आंच सा है माँ प्यार तुम्हारा शीत में गर्मी का एहसास है माँ प्यार तुम्हारा..। धीमी तपती आंच सा है माँ प्यार तुम्हारा शीत में गर्मी का एहसास है माँ प्...