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Dr.kamlesh Mishra

Abstract

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Dr.kamlesh Mishra

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"हैपी मदर्स डे माँ"

"हैपी मदर्स डे माँ"

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हे माँ, प्रकृति की तुम,

अनुपम माया हो।

अपने अंदर ही तुम,

रचती सुंदर काया हो।


तन भी उनका गढ़ती हो,

मन  भी उनका रखती हो।

लग न जाए चोट कहींं,

बनके पहरूए रहती हो।


तेरी ममता का कोई छोर नहीं,

तेरे जैैसा कोई और नहींं।

तेरे गुणों का गान करूँ कैैैसे,

मेरे पास हैै कोई शब्द नहीं।


आशीष दे माँँ मुझको,

मैं कोटि नमन करती हूँ।

रख दे हाथ मेेरे सिर पर,

मैं  आज समर्पण करती हूँ।



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